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बाल केंद्रित शिक्षा क्या है - Ischool24

बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत महत्व व शिक्षण विधियां, शिक्षा के उद्देश्य, बाल केंद्रित शिक्षा के जनक, शिक्षक की भूमिका व शिक्षा के गुण एवं दोष

बाल केंद्रित शिक्षा 

बाल केंद्रित शिक्षा आधुनिक समय में बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह एक शिक्षा प्रणाली है जो बच्चों को सम्पूर्णता, बालों की रूचि और आवास्यक योग्यताओं के विकास पर जोर देती है। इस प्रकार की शिक्षा बच्चों के शारीरिक, ज्ञानात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक दिमाग के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।

बाल केंद्रित शिक्षा में शिक्षक की भूमिका:

  • शिक्षक बाल केंद्रित शिक्षा में एक प्रभावशाली संरक्षक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं।
  • उन्हें बच्चों के विकास को समझनेउनकी रुचियों को पहचानने और उन्हें उनके संगठनात्मक और स्वतंत्र सीखने के प्रयासों में प्रोत्साहित करने की क्षमता होनी चाहिए।

बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत:

  • शिक्षा में बच्चों की स्वाभाविकतारुचियों और अवधारणाओं को महत्व देना।
  • संवेदनशीलतासहभागिता और स्वतंत्र सोच को प्रोत्साहित करना।
  • संबंध-मूलक शिक्षा को महत्व देनाजिसमें शिक्षक-छात्र और छात्र-छात्र के बीच संबंधों का मजबूतीकरण शामिल होता है।
  • स्वयंसेवासमस्या समाधान के कौशल और सामूहिक सहभागिता के माध्यम से सीखने का प्रोत्साहन करना।

बाल केंद्रित शिक्षा और  प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणाएँ

यहां कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं जिनके लिए बाल केंद्रित शिक्षा महत्वपूर्ण है:

1.   सम्पूर्ण विकास: बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों के सम्पूर्ण विकास को समर्पित होती है। यह शिक्षा प्रणाली उनके शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक दिमाग को विकसित करने के लिए संरचित होती है।

2.   बालों की रूचि का प्रोत्साहन: बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों की रूचियों को पहचानने और उन्हें विकसित करने में मदद करती है। यह उन्हें संगीत, कला, खेल, विज्ञान, साहित्य आदि में रुचि दिखा सकती है और उनकी रूचियों के आधार पर समझने में मदद करती है।

3.   योग्यताओं का विकास: बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों के योग्यताओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। यह उनकी भौतिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने में मदद करती है और उन्हें समस्याओं का समाधान निकालने, सहभागिता करने, संघर्ष से निपटने, समानता को समझने आदि कौशल विकसित करती है।

4.   सहभागिता और सामाजिकीकरण: बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों के सहभागिता और सामाजिकीकरण को प्रोत्साहित करती है। इसके माध्यम से बच्चे समूह में सहभागी होते हैं, सहयोग करते हैं, सामाजिक मर्यादाओं को समझते हैं और समाज में सही ढंग से जीने का संवेदनशीलता विकसित करते हैं।

5.   स्वतंत्र सोच और सृजनात्मकता: बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों की स्वतंत्र सोच और सृजनात्मकता को बढ़ाती है। यह उन्हें नए और अद्वितीय विचारों को विकसित करने के लिए प्रेरित करती है, समस्याओं के नए हल ढूंढ़ने में मदद करती है और सृजनात्मक विचारों

6.   संवेदनशीलता और आध्यात्मिकता: बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों की संवेदनशीलता और आध्यात्मिकता को समर्पित करती है। यह उन्हें अपनी भावनाओं को समझने, दूसरों की भावनाओं का महत्व समझने, संवेदनशीलता के साथ बातचीत करने और आध्यात्मिक मूल्यों को समझने में मदद करती है।

7.   सुरक्षा और स्वास्थ्य: बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देती है। यह उन्हें स्वस्थ जीवनशैली, साफ-सफाई, खान-पान के बारे में जागरूकता और सुरक्षित माहौल के महत्व को समझाती है।

बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों को अपने पूरे पोटेंशियल को प्राप्त करने, समृद्ध और समर्पित नागरिकों के रूप में समाज में योगदान करने की क्षमता विकसित करती है। इसके अलावा, यह उन्हें जीवन भरी सीख और नवीनता को अपनाने के लिए तैयार करती है।


बाल-केंद्रित एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जो अक्सर अनुदेशात्मक प्रथाओं की गलत व्याख्या करता है। बच्चों, अभिभावकों और सहकर्मियों के साथ काम करते समय बच्चे को केंद्रित शिक्षा के बारे में इन मार्गदर्शक सिद्धांतों को ध्यान में रखना उपयोगी होगा:-

बाल केन्द्रित और प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणाएँ

  • सभी बच्चों को एक ऐसी शिक्षा का अधिकार है जो उन्हें उनके पूर्ण विकास और विकसित होने में मदद करे

  • प्रत्येक बच्चा एक विशिष्ट और विशिष्ट व्यक्ति है। नतीजतन, हमें व्यक्तिगत बच्चों को पढ़ाना होगा और उम्र, लिंग, संस्कृति, स्वभाव और सीखने की शैली की उनकी विशिष्ट विशिष्टता का सम्मान करना होगा।

  • बच्चे अपनी शिक्षा और विकास में सक्रिय भागीदार हैं।इसका मतलब है कि उन्हें मानसिक रूप से शामिल होना चाहिए और सीखने में शारीरिक रूप से सक्रिय होना चाहिए।

  • बच्चों के विचारों, वरीयताओं, सीखने की शैलियों और हितों को निर्देशात्मक प्रथाओं के नियोजन और कार्यान्वयन में माना जाता है।

  • फ्रोबेल के समय से बाल-केंद्रित शिक्षा प्रारंभिक बचपन की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण आधार रही है।एक पेशेवर के रूप में, आप अपने शिक्षण और अभ्यास को बाल केंद्रित बनाना चाहेंगे। इसके अलावा, आप हर बच्चे के निहित अधिकार के लिए बाल-केंद्रित शिक्षा की वकालत करना चाहेंगे।

  • बाल केन्द्रित शिक्षा (Child centered) पर एक पुनर्मूल्यांकन हो रहा है क्योंकि सामान्य रूप से समाज पूरे बच्चे में अधिक रुचि रखता है और बच्चों की सभी जरूरतों को संबोधित करने का प्रयास करता है, न कि उनकी शैक्षणिक आवश्यकताओं को।नतीजतन, बच्चों को स्वस्थ रहने और स्वस्थ जीवन शैली का नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बहुत अधिक चिंता है।

  • बच्चों को चिकित्सीय टीकाकरण प्रदान करना और यह देखना कि सभी बच्चों को दो साल की उम्र तक पूरी तरह से प्रतिरक्षित किया जाता है, बहुत अधिक ध्यान दिया गया है, और बच्चों को नशीली दवाओं से मुक्त होने में मदद करने के कार्यक्रम प्रारंभिक बचपन और प्राथमिक कार्यक्रमों में आम हैं।

  • उनके विकास और विकास के सभी क्षेत्रों में बच्चों के कल्याण के लिए चिंता स्पष्ट है और जनता को उनके मूल अधिकारों के बारे में बढ़ती जागरूकता का कारण बनता है।

  • सभी महान शिक्षकों ने बच्चों की बुनियादी अच्छाई में विश्वास किया है; शिक्षक स्वयं को प्रकट करने के लिए इस अच्छाई के लिए वातावरण प्रदान करना है।


 
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सार्थक सीखने की तैयारी (Meaningful learning preparation)


"
सार्थक सीखने" का अर्थ है कि हम जो सीखा जा रहा है उसे (विषय या सामग्री) लिंक करें और यह कैसे बच्चों और उनके परिवारों के रोजमर्रा के जीवन को सिखाया जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शिक्षण एक जटिल गतिविधि है।

सार्थक सीखने की तैयारी करते समय हमें कई बातों पर विचार करना चाहिए। सबसे बढ़कर, कोई भी बच्चा नहीं बना सकता है। बच्चे तब सीखेंगे जब वे सीखने के लिए प्रेरित होंगे। 

प्रभावी ढंग से सीखने के अवसर दिए जाने पर वे सीखेंगे और जब उन्हें लगेगा कि उनके पास जो कौशल है, वह सफलता की ओर ले जाएगा। वे सीखेंगे जब उन्हें दोस्तों, शिक्षकों और माता-पिता से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी, जो उन्हें सीख रहे हैं कि वे कितनी अच्छी तरह से सीखते हैं।

"लर्निंग-फ्रेंडली" क्या है? (What is "learning-friendly"?)

कई स्कूल "बाल-मित्र" बनने के लिए काम कर रहे हैं, जहाँ बच्चों को एक सुरक्षित और स्वागत योग्य वातावरण में अपनी पूरी क्षमता को सीखने का अधिकार है। 

उद्देश्य विषय और परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, स्कूल में प्रत्येक बच्चे की भागीदारी और सीखने में सुधार करना है। "बाल-मित्र" होना बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन यह पूर्ण नहीं है।

बच्चे सीखने के लिए स्कूल आते हैं, लेकिन शिक्षक के रूप में, हम हमेशा सीख रहे हैं, भी। हम अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए दुनिया के बारे में नई चीजें सीखते हैं। 

हम अधिक प्रभावी ढंग से सिखाना सीखते हैं - और आनंदपूर्वक - ताकि सभी छात्र सीखें कि गणित कैसे पढ़ें या क्या करें, और हम अपने छात्रों से नई चीजें भी सीखते हैं।

एक "सीखने के अनुकूल" वातावरण " बाल-मित्र " और "शिक्षक-अनुकूल" है। यह सीखने वाले समुदाय के रूप में छात्रों और शिक्षकों के एक साथ सीखने के महत्व पर जोर देता है। यह बच्चों को सीखने के केंद्र में रखता है और सीखने में उनकी सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। 

यह शिक्षकों के रूप में हमारी जरूरतों और हितों को भी पूरा करता है, ताकि हम सक्षम हों, जिससे बच्चों को सर्वोत्तम शिक्षा मिल सके।

बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम का स्वरूप (Nature of curriculum under child centered education)

 बाल केंद्रित शिक्षा में विद्यार्थी को केंद्र मानकर शिक्षा प्रक्रिया संचालित किया जाना चाहिए। जिसमें बालक की रूचियों, आवश्यकताओं एवं योग्यताओं के आधार पर पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाना चाहिए बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम का स्वरूप निम्नलिखित प्रकार से होना चाहिए। 

  • पाठ्यक्रम पूर्व ज्ञान पर आधारित होना चाहिए जिससे बालक पूर्व ज्ञान का समायोजन कर नए ज्ञान को प्राप्त कर सकें। 

  •  पाठ्यक्रम  छात्रों के रूचि के अनुसार ही बनाना चाहिए। 

  •  पाठ्यक्रम छात्रों के हिसाब से लचीला होना चाहिए। 

  •  पाठ्यक्रम को  छात्रों के जीवन उपयोगी तथ्यों को ध्यान में रखकर बनाना चाहिए।

  •  वातावरण के अनुसार होना चाहिए। 

  •  पाठ्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय भावनाओं को विकसित करने वाले विषय को भी केंद्रित करना चाहिए। 

  •  पाठ्यक्रम के अंतर्गत समाज को भी ध्यान रखना चाहिए तथा समाज के अनुसार ही पाठ्यक्रम होना चाहिए। 

  •  पाठ्यक्रम को  बालकों के मानसिक व व्यक्तिगत भी नेताओं को ध्यान में रखकर बनाना चाहिए


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बाल केंद्रित शिक्षण विधियां

बाल केंद्रित शिक्षा में कई विभिन्न विधियां अपनाई जाती हैं, जो बच्चों के विकास और सीखने को समर्पित होती हैं। यहां कुछ प्रमुख बाल केंद्रित शिक्षण विधियां हैं:

1.   प्रवर्तनशील शिक्षा: इस विधि में, बच्चों की प्राथमिकताओं, रुचियों और उत्प्रेरणाओं के आधार पर उन्हें स्वतंत्रता दी जाती है कि वे अपनी शिक्षा को कैसे निर्धारित करना चाहते हैं। यह उन्हें ज्ञान की खोज, स्वतंत्र सोच और समस्या समाधान के कौशल को विकसित करने का अवसर देती है।

2.   खेल-आधारित शिक्षा: इस विधि में, खेल, खुदरा और गतिविधियों को मुख्य अंश के रूप में शामिल किया जाता है। बच्चों को खेलने के माध्यम से सीखने का मौका मिलता है, जो उनके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और कौशलिक विकास को प्रोत्साहित करता है।

3.   नियमित शिक्षा: इस विधि में, नियमित शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को बुनियादी विषयों और कौशलों का ज्ञान दिया जाता है। 

4.   सामूहिक शिक्षा: इस विधि में, बच्चों को सामूहिक गतिविधियों, सहभागिता के माध्यम से सीखने का मौका मिलता है। यह विधि उन्हें सहयोग, साझेदारी, संघटना क्षमता, टीमवर्क, सामाजिक अनुबंधन और सामूहिक समस्याओं का समाधान करने की क्षमता को विकसित करने में मदद करती है।

5.   अनुभवाधारित शिक्षा: इस विधि में, बच्चों को वास्तविक जीवन के अनुभवों के माध्यम से सीखने का मौका मिलता है। यहां, विद्यालयों और समुदायों के बाहर के स्थानों पर भ्रमण, साहसिक कार्यक्रम, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय यात्राएं आदि का आयोजन किया जाता है, जिससे बच्चों को अद्यतित ज्ञान, विश्वास और सामाजिक जागरूकता प्राप्त होती है।

6.   कला और सहजीवन शिक्षा: इस विधि में, कला, संगीत, नृत्य, नाट्य और साहित्य जैसे कला-संबंधित विषयों को महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है। बच्चों को कला के माध्यम से समस्याओं का समाधान करने, सृजनात्मकता को विकसित करने, व्यक्तिगत अभिव्यक्ति करने और सांस्कृतिक समृद्धता को समझने का अवसर मिलता है।

7.   प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा: इस विधि में, बच्चों को विभिन्न प्रकल्पों और प्रोजेक्ट्स के माध्यम से सीखने का मौका मिलता है। इससे उन्हें स्वतंत्रता, नवीनता, समस्या समाधान के कौशल, स्वयंसेवा और समर्पण की भावना, तकनीकी ज्ञान आदि को विकसित करने का अवसर मिलता है।

ये थीं कुछ प्रमुख बाल केंद्रित शिक्षण विधियां, जो बच्चों के संपूर्ण विकास को प्रोत्साहित करती हैं। इन विधियों का उपयोग करके, शिक्षकों और प्रशासनिक अधिकारियों को बच्चों को उनकी सीखने की स्वाभाविक प्रक्रिया में सहायता करने का अवसर मिलता है।

बाल केंद्रित शिक्षा का महत्व:

  • बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों के संपूर्ण विकास को समर्पित होती है। यह उनके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विकास को संवारती है।
  • इसका महत्व उन्हें स्वतंत्र सोच, समस्या समाधान के कौशल, सहभागिता, संघटना क्षमता, सामाजिक जागरूकता, नैतिकता और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक बनाता है।
  • यह उन्हें नये और नवीनतम ज्ञान को स्वीकार करने की क्षमता प्रदान करती है और स्वयंसेवा भावना को समझाती है।
  • बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों की संवेदनशीलता, सहभागिता, न्यायप्रियता, सदभाव, समझदारी और अनुशासन को विकसित करती है।

बाल केंद्रित शिक्षा के उद्देश्य:

  • बच्चों के संपूर्ण विकास को समर्पित करना।
  • उन्हें नये और नवीनतम ज्ञान को स्वीकार करने की क्षमता प्रदान करना।
  • उन्हें स्वतंत्र सोच, समस्या समाधान के कौशल, सहभागिता, संघटना क्षमता और सामाजिक जागरूकता विकसित करना।
  • उन्हें स्वयंसेवा भावना और नैतिक मूल्यों को समझाना।

बाल केंद्रित शिक्षा के जनक:

  • बाल केंद्रित शिक्षा के जनक के रूप में जाने जाते हैं पीटर पीटरसन (Peter Peterson) और एरिक एरिकसन (Erik Erikson)। उन्होंने बाल केंद्रित शिक्षा की महत्वपूर्णता को उजागर किया और इसका प्रचार किया।

बाल केंद्रित शिक्षा के गुण और दोष-गुण:

  • संपूर्ण विकास को समर्पित होना।
  • बच्चों की स्वाभाविकता, रुचियों और अवधारणाओं का सम्मान करना।
  • सामूहिक सहभागिता और संघटना क्षमता को विकसित करना।
  • नैतिकता, सदभाव और सामाजिक जागरूकता को प्रोत्साहित करना।

दोष:

  • शिक्षा की असंतुलनशीलता और असंगठितता।
  • बच्चों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समस्या समाधान के कौशल की कमी।
  • संबंध-मूलक शिक्षा की कमी और शिक्षा के संदर्भ में असंगठित आदेश।

यहां बताए गए गुण और दोष बाल केंद्रित शिक्षा के सामान्य लक्षण हैं, हालांकि प्रत्येक बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली अपनी विशेषताओं और चुनौतियों के साथ आती है।

 प्रगतिशील शिक्षा  (Progressive education)

 प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा ए विकास के लिए जॉन डीवी को विशेष योगदान दिया जाता है। जॉन डीवी संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के एक मनोवैज्ञानिक थे।  जिन्होंने प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा को स्पष्ट किया-

 
इनका एक  कथन है- "शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य बालक की शक्तियों का विकास है।"

इन्होंने प्रगतिशील शिक्षा के अंतर्गत शिक्षण विधि को अधिक व्यावहारिक करने पर बल दिया तथा इसके अंतर्गत शिक्षा के दो तत्वों को विशेष महत्वपूर्ण माना- 1.  रुचि 2. प्रयास

इन दो  तत्वों को ध्यान में रखकर अध्यापक को बालक की सभा विकृतियों को समझकर उसके उपयोगी कार्यों की व्यवस्था करनी चाहिए तथा बालक को स्वयं कार्यक्रम बनाने का अवसर भी दिया जाना चाहिए। 

 
जॉन डीवी के शिक्षा पद्धति के आधार पर ही प्रोजेक्ट प्रणाली का जन्म हुआ इसके अंतर्गत बालक को ऐसे काम दिया जाना चाहिए जिनसे उसमें  स्फूर्ति, आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और मौलिकता का विकास हो। 

बाल केंद्रित शिक्षा से उपयोगी महत्वपूर्ण बिंदु

1.   बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत बालक के मनोविज्ञान को समझते हुए उसके शिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे उसके अधिगम संबंधी कठिनाइयां दूर हो सके।  

2.   बाल केंद्रित शिक्षा के अंदर बालक की शारीरिक और मानसिक योग्यताओं का विशेष ध्यान देना चाहिए इसी के आधार पर उससे कार्य कराना चाहिए।  

3.   बाल केंद्रित पाठ्यक्रम के अंतर्गत बालक की रूचि आवश्यकताओं और योग्यताओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।   

4.   प्रगतिशील शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालकों में शिक्षा के माध्यम से जनतांत्रिक मूल्यों की स्थापना करना है। 

5.   जॉन डीवी को प्रगतिशील शिक्षा के लिए सराहनीय योगदान दिया जाता है।  इन्होंने इस शिक्षा के अंतर्गत बालक  रुचि और प्रयास को महत्वपूर्ण स्थान दिया।  


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