अधिगम अक्षमता - अफेज्या डिक्सलैक्सिया डिस्ग्राफिया डिस्केलकुलिया अप्रेक्सिया डिस्प्रेक्सिया
अधिगम अक्षमता के प्रकार के बारे में अक्षमता का उल्लेख सर्वप्रथम 1963 में सैमुअल किर्क ने किया था। इनके मतों के अनुसार अधिगम अक्षमता छात्रों के अधिगम के लिए एक प्रकार की बाधा होती है- इसके अंतर्गत कुछ बालकों में पढ़ने -लिखने, मौखिक अभिव्यक्ति, शब्दों की वर्तनी करने, गणित एवं तर्कशक्ति को समझने आदि में अक्षम अर्थात कमजोर होते हैं। इस प्रकार की अक्षमता को अधिगम अक्षमता भी कहा जाता है।
अधिगम अक्षमता के प्रकार-
अधिगम अक्षमता के प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. अफेज्या (Aphasia)
2. डिक्सलैक्सिया (Dyslexia)
3. डिसग्राफिया (Dysgraphia)
4. डिस्केलकुलिया (Dyscalculia)
5. अप्रेक्सिया/डिस्प्रेक्सिया- (Apraxia/Dyspraxia)
1. अफेज्या (Aphasia) - यह अधिगम अक्षमता भाषा एवं संप्रेषण से संबंधित होता है। इस अधिगम अक्षमता से पीड़ित बालक मौखिक रूप से सीखने एवं विचारों को अभिव्यक्त प्रदान करने में कठिनाई का अनुभव करता है। ऐसा माना जाता है कि-यह अक्षमता बालक के मस्तिष्क में किसी प्रकार की क्षति से विकार उत्पन्न होता है।
1. सही उच्चारण के साथ मौखिक संवाद ना कर पाना
2. अटक-अटक कर शब्दों का उच्चारण करना
3. अपने विचारों को बोलना पाना
4. भाषा संप्रेषण में कमी होना
5. भाषा संप्रेषण के समय उचित शब्दों का प्रयोग ना कर पाना
2. डिक्सलैक्सिया (Dyslexia) - यह अधिगम अक्षमता पठन विकार से संबंधित है। इसमें बच्चों को लिखने-पढ़ने, शब्दों को पहचानने व समझने, याद करने, अक्षरों के क्रम को पढ़ने में कठिनाई महसूस होती है।
1. शब्दकोश की कमी
2. शुद्ध उच्चारण ना कर पाना
3. शब्दों को पहचानने में त्रुटि
4. शब्दों की क्रम व्यवस्था को इधर-उधर करके पढ़ना और लिखना
5. वाक्यों के भाव को ना समझ पाना
6. पढ़ते समय शब्दों को छोड़-छोड़ कर पढ़ना
7.पढ़ते समय एकाग्रता में कमी
4. डिस्ग्राफिया (Dysgraphia) - डिसग्राफिया लेखन संबंधित अशक्तता है। इससे ग्रसित बालक ठीक से नहीं लिख पाता अर्थात उसकी लिखावट ठीक नहीं हो पाती है। डिसग्राफिया, हाथ-हथेलियां व उंगलियों से संबंधित गड़बड़ी के कारण होता है। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क संबंधी कुछ गड़बड़ियों के कारण भी यह अधिगम अक्षमता संभवतः होता है। शारीरिक रूप से अक्षम बालक में यह अधिगम अक्षमता पाया जाता है।
1. बालक के द्वारा लिखे गए लेख में अशुद्ध वर्तनी का होना
2. अक्षरों को छोटे-बड़े लिखना
3. पेन और पेंसिल को बहुत नजदीक अर्थात नीचे से पकड़ कर लिखना
4. ख़राब हैंडराइटिंग
5. लिखे गए वाक्य लाइन सीधी ना होकर टेढ़ी-मेढ़ी होना
4. डिस्केलकुलिया (Dyscalculia) - यह एक ऐसी अधिगम अक्षमता है, जिसमें बच्चे गणित को समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। इस अधिगम अक्षमता को न्यूमलेक्सिया भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत बालक गणितीय सिद्धांतों सूत्रों को समझने में कठिनाई महसूस करता है और गलती सवालों को हल करने में उसे समस्या होती है।डिस्केलकुलिया कई प्रकार का होता है- ग्राफिकल डिस्केलकुलिया, लैक्सिकल डिस्केलकुलिया, प्रैक्टोनोस्टिक डिस्केलकुलिया आदि।
1. गणितीय संक्रियाओं से संबंधित चिन्हों को पहचानने में समस्या
2. गिनते समय बार-बार उंगलियों का प्रयोग करना
3. बार-बार समझाने पर भी गलत कैलकुलेशन करना
5. अप्रेक्सिया/डिस्प्रेक्सिया (Apraxia/Dyspraxia) - अप्रेक्सिया मानसिक विकार है,जबकि डिस्प्रेक्सियातंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार है। अप्रेक्सिया कारण किसी व्यक्ति में मांसपेशियों के संचालन, गति कौशल जैसे लिखने कुशलता नहीं आ पाती है । वह हाथों के बीच भी संतुलन स्थापित नहीं कर पाता है।
1. बालक का लापरवाह होना
2. भावनाओं के प्रति अस्थिरता
3. अपने कार्यों के प्रति मंदी
4. विद्यालय पाठय सहगामी क्रियाओं में अरुचि
5. ध्यान का केंद्रीकरण ना कर पाना
6. अपने लक्ष्य से भटकना
7. स्वयं के निर्णय लेने में असक्षम
8. याददाश्त में कमी
9. गामक क्रियाएं ठीक से न कर पाना
10. उपयुक्त आचरण का प्रदर्शन न करना
अफेज्या से संबंधित लक्षण-
1. सही उच्चारण के साथ मौखिक संवाद ना कर पाना
2. अटक-अटक कर शब्दों का उच्चारण करना
3. अपने विचारों को बोलना पाना
4. भाषा संप्रेषण में कमी होना
5. भाषा संप्रेषण के समय उचित शब्दों का प्रयोग ना कर पाना
2. डिक्सलैक्सिया (Dyslexia) - यह अधिगम अक्षमता पठन विकार से संबंधित है। इसमें बच्चों को लिखने-पढ़ने, शब्दों को पहचानने व समझने, याद करने, अक्षरों के क्रम को पढ़ने में कठिनाई महसूस होती है।
डिस्लेक्सिया से संबंधित लक्षण-
1. शब्दकोश की कमी
2. शुद्ध उच्चारण ना कर पाना
3. शब्दों को पहचानने में त्रुटि
4. शब्दों की क्रम व्यवस्था को इधर-उधर करके पढ़ना और लिखना
5. वाक्यों के भाव को ना समझ पाना
6. पढ़ते समय शब्दों को छोड़-छोड़ कर पढ़ना
7.पढ़ते समय एकाग्रता में कमी
निम्न लक्षणों के माध्यम से डिक्सलैक्सिया से ग्रसित बालक की पहचान की जा सकती है, लेकिन इन लक्षणों से प्रमाणित नहीं किया जा सकता कि बालक डिक्सलैक्सिया से ग्रसित बालक है। भारत में डिक्सलैक्सिया से ग्रसित बालकों की पहचान करने के लिए डिक्सलैक्सिया अर्ली स्क्रीनिंग टेस्ट और डिसलेक्सिया स्क्रीनिंग टेस्ट का उपयोग किया जाता है।
4. डिस्ग्राफिया (Dysgraphia) - डिसग्राफिया लेखन संबंधित अशक्तता है। इससे ग्रसित बालक ठीक से नहीं लिख पाता अर्थात उसकी लिखावट ठीक नहीं हो पाती है। डिसग्राफिया, हाथ-हथेलियां व उंगलियों से संबंधित गड़बड़ी के कारण होता है। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क संबंधी कुछ गड़बड़ियों के कारण भी यह अधिगम अक्षमता संभवतः होता है। शारीरिक रूप से अक्षम बालक में यह अधिगम अक्षमता पाया जाता है।
डिसग्राफिया से संबंधित लक्षण-
1. बालक के द्वारा लिखे गए लेख में अशुद्ध वर्तनी का होना
2. अक्षरों को छोटे-बड़े लिखना
3. पेन और पेंसिल को बहुत नजदीक अर्थात नीचे से पकड़ कर लिखना
4. ख़राब हैंडराइटिंग
5. लिखे गए वाक्य लाइन सीधी ना होकर टेढ़ी-मेढ़ी होना
यह अधिगम अक्षमता स्थाई नहीं होता है, इस अधिगम अक्षमता में अभ्यास के माध्यम से सुधार लाया जा सकता है।
4. डिस्केलकुलिया (Dyscalculia) - यह एक ऐसी अधिगम अक्षमता है, जिसमें बच्चे गणित को समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। इस अधिगम अक्षमता को न्यूमलेक्सिया भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत बालक गणितीय सिद्धांतों सूत्रों को समझने में कठिनाई महसूस करता है और गलती सवालों को हल करने में उसे समस्या होती है।डिस्केलकुलिया कई प्रकार का होता है- ग्राफिकल डिस्केलकुलिया, लैक्सिकल डिस्केलकुलिया, प्रैक्टोनोस्टिक डिस्केलकुलिया आदि।
डिस्केलकुलिया ग्रसित बालकों के लक्षण-
1. गणितीय संक्रियाओं से संबंधित चिन्हों को पहचानने में समस्या
2. गिनते समय बार-बार उंगलियों का प्रयोग करना
3. बार-बार समझाने पर भी गलत कैलकुलेशन करना
कारण- जब बालक में तार्किक क्षमता में कमी होती है जिसके अभाव के कारण बालक गणितीय समस्याओं को हल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यह मस्तिष्क में उपस्थित कॉर्टेक्स की गतिविधि पर आधारित होता है।
5. अप्रेक्सिया/डिस्प्रेक्सिया (Apraxia/Dyspraxia) - अप्रेक्सिया मानसिक विकार है,जबकि डिस्प्रेक्सियातंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार है। अप्रेक्सिया कारण किसी व्यक्ति में मांसपेशियों के संचालन, गति कौशल जैसे लिखने कुशलता नहीं आ पाती है । वह हाथों के बीच भी संतुलन स्थापित नहीं कर पाता है।
अधिगम अक्षमता की प्रकृति एवं विशेषताएं-
यह एक आंतरिक कारक होता है, इसका स्वरूप स्थाई तथा संपूर्ण जीवन विद्यमान रहता है । इस समस्या से ग्रसित बालकों में कई प्रकार के व्यवहार व विशेषताएं पाई जाती है । अधिगम अक्षमता की समस्याएं की कुछ समस्याएं तंत्रिका तंत्र से संबंधित होती हैं।
अधिगम अक्षमता के कारण बालक में सोचने बोलने लिखने तथा सुनने और अंक गणित से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं जिसके कारण बालक के अधिगम में विकृति उत्पन्न होती है यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या माना जाता है।
अधिगम अक्षमता के लक्षण-
अधिगम अक्षमता से ग्रसित बालक निम्नलिखित प्रमुख लक्षणों को प्रदर्शित करता है-
1. बालक का लापरवाह होना
2. भावनाओं के प्रति अस्थिरता
3. अपने कार्यों के प्रति मंदी
4. विद्यालय पाठय सहगामी क्रियाओं में अरुचि
5. ध्यान का केंद्रीकरण ना कर पाना
6. अपने लक्ष्य से भटकना
7. स्वयं के निर्णय लेने में असक्षम
8. याददाश्त में कमी
9. गामक क्रियाएं ठीक से न कर पाना
10. उपयुक्त आचरण का प्रदर्शन न करना
सारांश- उपर्युक्त पोस्ट में हमने अधिगम अक्षमता के कारण विशेषताएं से संबंधित प्रमुख जानकारियों के बारे में चर्चा की गई है विभिन्न प्रकार के अधिगम अक्षमता बालक को किस प्रकार से प्रभावित करते हैं उसके बारे में भी जानकारी दी गई है उम्मीद है आप लोगों को यह पोस्ट जरूर पसंद आया होगा।
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